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Bhandari Vaastu Consultancy वास्तु विषय की सार्थकता | Bhandari Vaastu Consultancy | Indian Vaastu | Vaastu Shastra | Hyderabad | India

कैसे बचे आग्नेय में शयन कक्ष के दुष्परिणामों से?

जिज्ञासाः मकान के पूर्व-दक्षिण के कमरे में शयन-कक्ष बनाया गया है, लेकिन यह शयन-कक्ष वास्तु के सिद्धांतों के विपरीत है। इसके दुष्परिणामों से बचने के लिये क्या उपाय करें?

समाधान : वास्तु की दिशाओं में पूर्व तथा दक्षिण दिशा के संधि-स्थल को आग्नेय कोण कहा जाता है। जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि आग्नेय का अर्थ ही अग्नि होता है। आग्नेय के कमरे में अग्नि-तत्व अत्याधिक मात्रा में प्रवाहित होता है, जिसके दुष्परिणाम पुरुष वर्ग के जीवन को प्रभावित करते है, जिसके कारण पुरुष वर्ग के स्वास्थ्य एवं समृद्धि में विपरीत परिणाम पैदा होते हैं।

आग्नेय के कमरे को शयन-कक्ष के लिये उपयोग करने वाले पुरुष वर्ग को अग्नि-तत्व से संबंधित उच्च रक्तचाप, डायबिटीज, हृदयघात इत्यादि बीमारियाँ पैदा होने की प्रबल संभावना एवं स्वभाव उत्तेजित प्रवृत्ति में परिवर्तित होने के साथ पति-पत्नी के आपस में वैचारिक मतभेद उत्पन्न होते हैं।

वास्तु विषय से उत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिये बेहतर यही होगा कि आग्नेय के कमरे को रसोई-घर के लिये उपयोग करे। लेकिन और कोई विकल्प नहीं होने की स्थिति में, आग्नेय के कमरे के एक चौथाई पूर्वी हिस्से में दीवार बनाकर तथा बचे हुए तीन-चौथाई हिस्से के पूर्व-ईशान में दरवाजा एवं दोनो हिस्सो के दक्षिण-आग्नेय में खिड़कियाँ लगाकर, शयन-कक्ष के लिये उपयोग करे।

इस परिवर्तन के साथ पति-पत्नी दोनों, उत्तम गुणवत्ता की प्राकृतिक स्फटिक की माला, चांदी में बनाकर पहनने से अग्नि-तत्व के दुष्परिणामों में न्यूनता आयेगी।

नींव की खुदाई के नाम पर भ्रम

जिज्ञासाः हमें बताया गया है कि मकान के नींव की खुदाई करने पर यदि ईंटें, धातु (तांबा) मिले तो यह शुभ लक्षण है और सुख-समृद्धि का संकेत है। लेकिन यदि कोयला, हड्डी, केश, लोहा इत्यादि मिले तो यह अशुभ समझा जाता है, जिसके कारण धन का नाश होता है। इसके निवारण के लिये भू-स्वामी की ऊँचाई के बराबर मिट्टी हटाकर, उस स्थान पर नयी मिट्टी डालकर, स्थान-शुद्धि और वास्तु-शांति की पूजा अवश्य करवानी चाहिये। क्या यह जरूरी और उचित होगा?

समाधान : आज के युग में जमीन मिलना ही मुश्किल होता है, और अपने मन-पसंद का भूखण्ड मिलना तो लगभग असंभव ही है। भूखण्ड की उपलब्धता और आपकी आवश्यकता एवं आर्थिक सामर्थ्य के अनुसार, उस भूखण्ड पर वास्तु के सिद्धांतों का परिपालन करते हुए भवन का निर्माण करवाने पर, उस भवन में निवास करने वालों का जीवन खुशहाल एवं समृद्धिदायक ही व्यतीत होगा।

वर्षों से जो जमीन खाली पड़ी रहती है, वहाँ पर खुदाई करने पर कुछ-न-कुछ तो निकलेगा ही। मेरी राय व अनुभव से तो मैं यही कह सकता हूँ कि इस तरह की व्यर्थ की बातों से स्वयं को भ्रमित होने से बचायें। इन तर्कहीन बातों पर ध्यान देकर, व्यर्थ में रुपये-पैसे खर्च करने से तो अच्छा यही होगा कि आप वास्तु के सिद्धांतों के अनुसार गृह निर्माण करवाये। वास्तु-बल से मिलने वाले फायदों के उत्तम नतीजों का फर्क आप स्वयं स्पष्ट रूप से महसूस करेंगे।

ग्रह-शांति, वास्तु-शांति का उद्देश्य?

जिज्ञासाः ग्रह-शांति और वास्तु-शांति करवाने से मकान के वास्तु दोषों का निवारण संभव है या नहीं?

समाधान : ग्रह-शांति करवाना आपकी धार्मिक भावना एवं आस्था का प्रतीक है। वास्तु-शांति का मूल उद्देश्य और वास्तविक अर्थ समझने में आप भूल कर रहे हैं। मकान के निर्माण में दिशाओं के आधार पर, वास्तु के पंच-तत्वों का उचित तालमेल और संतुलन ही सही अर्थ में वास्तु-शांति है। मकान के वास्तु दोषों से स्थायी तौर पर निवर्ती पाने के लिये, वास्तु के दिशा निर्देशानुसार परिवर्तन करवाना ही एक मात्र कारगर और उत्तम उपाय है।