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Bhandari Vaastu Consultancy वास्तु विषय की सार्थकता | Bhandari Vaastu Consultancy | Indian Vaastu | Vaastu Shastra | Hyderabad | India

वास्तु निभाती है जीवन में घटित होने वाले प्रत्येक घटनाक्रम में अहम भूमिका

जिज्ञासा: वास्तु विषय की नींव पूरातन काल में रखी गयी है। वर्तमान समय में बहुत लोग वास्तु में विश्वास रखते है और कुछ नहीं। क्या वास्तु को अपनाना आवश्यक है?

समाधान :यह सच है कि वास्तु विषय का उल्लेख पुरातन काल में लिखे गये शास्त्रों में वर्णित है, लेकिन वास्तु-शास्त्र हज़ारों वर्ष पहले उस समय की ज़रूरत और आवश्यकताओं के आधार पर लिखे गये थे। पुरातन काल और वर्तमान समय की ज़रूरत और आवश्यकताओं में भी बहुत अंतर है, क्योंकि समय परिवर्तन के साथ, मानव जीवन की ज़रूरते और आवश्यकताएँ भी बदलती रहती है।

"आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है" अत समय परिवर्तन के साथ आवश्यकताओं के अनुसार सिद्धांत भी परिवर्तित होते रहते है। जागरूकता और उचित मार्गदर्शन के अभाव में वास्तु विषय पर विश्वास करना या नहीं करना, एक कारण हो सकता है।

जीवन की सच्चाई यह है कि इंसान जिस मकान में रहता है, उस मकान की दिशाओं के अनुसार, भू-र्गभीय उर्जा, चुम्बकिय शक्ति, गुरूत्वाकर्षण बल, सूर्य रश्मियाँ, प्राकृतिक उर्जा, सौर-मंडल की उर्जा इत्यादि उर्जा स्त्रोत, वास्तु के पंच-तत्व, जल-अग्नि-वायु-पृथ्वी-आकाश इत्यादि के आधार पर, उस मकान में रहने वालों के जीवन में घटित होने वाले प्रत्येक घटनाक्रम में अहम भूमिका निभाते है और प्रभावित करते है।

सही दिशा में पूजा - वैचारिक गतिशीलता

जिज्ञासा: भगवान की मूर्ति उत्तर-मुखी रखकर पूजा कर सकते है?

समाधान :अगर आप भगवान की मूर्ति उत्तर-मुखी रखते है तो पूजा करते समय आपका मुँह दक्षिण दिशा की तरफ होगा। हालाँकि पूजा करना आपकी धार्मिक भावना और आस्था का प्रतिक होता है तथा आपके ईष्ट-देव की मूर्ति आपके ध्यान लगाने का माध्यम होती है। लेकिन अगर आप पश्चिम-वायव्य में, पश्चिम-मुखी बैठकर तथा भगवान की मूर्ति पूर्व-मुखी रखकर पूजा करते है तो, उस समय आपके दिमाग में उपजने वाले विचारों को गति मिलती है तथा वह कार्य शीघ्र पूरा होने की संभावना बढ़ जाती है, जो कि दक्षिण-मुखी होने से असंभव है।

वास्तु दोषों को सुधारना ही एक मात्र बेहतर विकल्प

जिज्ञासा: मेरे मकान के भूतल के उत्तर में रसोई-घर, प्रथम तल के उत्तर में शौचालय, आग्नेय में मुख्य शयन-कक्ष तथा नैऋत के कमरे में बच्चों शयन-कक्ष है। हम बहुत समस्याओं का सामना कर रहे हैं और यह सब यह मकान खरीद कर इसमें रहना शुरू करने के बाद से ही हो रहा है। समस्याओं से निवृत्ति कैसे प्राप्त करे?

समाधान : मकान के उत्तर में रसोई-घर तथा शौचालय होने के कारण आर्थिक नुकसान तथा गृह-कलह की समस्याएँ पैदा होती है। उत्तर दिशा के वास्तु दोषों के दुष्परिणाम आर्थिक स्थिति एवं विशेषत गृहणी के जीवन को ज्यादा प्रभावित करते है।

आग्नेय के कमरे में शयन-कक्ष होने से पुरुष वर्ग के स्वास्थ्य व समृद्धि में विपरित परिणाम तथा पति-पत्नी के आपस में वैचारिक मतभेद पैदा होते है। बच्चों का शयन-कक्ष नैऋत के कमरे में होने के कारण बच्चे पढ़ाई में कमजोर रहते है एवं उनका स्वभाव जीद्दि प्रवृति का होने के साथ ही उनके उज्ज्वल भविष्य का मार्ग अवरुद्ध होता है।

आपकी समस्याओं से समाधान तथा खुशहाल व समृद्धि दायक जीवन व्यतित करने के लिये, अनुभवी वास्तु विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में आपके मकान के वास्तु दोषों को सुधारना ही एक मात्र बेहतर विकल्प है।