The Solution for any problem through Vaastu.

T.R. Bhandari's

Bhandari Vaastu Consultancy वास्तु विषय की सार्थकता | Bhandari Vaastu Consultancy | Indian Vaastu | Vaastu Shastra | Hyderabad | India

प्लाट के उपयोग से प्राप्त करें आर्थिक समृद्धि

जिज्ञासा: मैं द्वितीय मंजील पर स्थित किराये के प्लैट में रह रहा हूँ तथा इस प्लैट के एक कमरे में मेरा ऑफिस है। इस प्लैट के नजदिक मेरा एक प्लॉट है। मैं आर्थिक कारणवश अगले दो-तीन वर्ष तक इस प्लाट पर नये मकान का निर्माण शुरू नहीं करवा सकता। कृपया बताये कि मेरे आर्थिक स्रोत में वृद्धि करने के लिए, मैं इस प्लाट का उपयोग कैसे करूँ?

समाधान :आप इस प्लॉट के पूर्व एवं उत्तर में कम तथा दक्षिण एवं पश्चिम में अपेक्षाकृत ज्यादा ऊँची चारदीवारी बनाकर, प्लाट के दक्षिण-पश्चिम के हिस्से के फर्श की ऊँचाई बढ़ाकर एक कमरे का निर्माण करवाये और इस नव-निर्मित कमरे को आपके ऑफिस के लिये उपयोग करे। प्लॉट के पूर्व-ईशान तथा उत्तर-ईशान में कर्ण रेखा को छोड़कर, चारदिवारी तथा कर्ण रेखा के नजदीक, एक-एक भूमिगत पानी के टैंक बनाये।

हालाँकि आपकी जीवन-शैली, आप वर्तमान में जिस प्लैट में रह रहे है, उस प्लैट की वास्तु पर निर्भर होगी, लेकिन अगर आप इस नव-निर्मित ऑफिस में नियमित रूप से बैठना शुरू करेंगे, तो यह वास्तु-बल आपके आर्थिक स्रोत और मान-सम्मान में वृद्धि करेगा, क्योंकि भू-र्गभीय उर्जा, भूतल पर अत्याधिक मात्रा में प्रवाहित होती है।

वास्तु प्रभावित करता है बिना जाति व धर्म के भेदभाव के

जिज्ञासा: हमारे धर्म में वास्तु विषय का समावेश नहीं होने के कारण मैंने मकान का निर्माण करवाते समय वास्तु पर ध्यान नहीं दिया था। मेरे मकान के उत्तर में दस फिट तथा पूर्व में पाँच फिट खुला स्थान, वायव्य में भुमीगत पानी का टैंक, पूर्व में रसोई-घर, आग्नेय में स्टोर रूम तथा दक्षिण एवं दक्षिण-पश्चिम में स्नानघर/शौचालय है। इस मकान में रहना शुरू करने के बाद से मुझे बहुत ज्यादा आर्थिक नुकसान हो रहा है। कृपया समाधान बताये।

समाधान :समाधान: वास्तु विषय के जल-अग्नि-वायु-पृथ्वी-आकाश इत्यादि पंच-तत्व, मकान की दिशाओं के आधार पर, भू-र्गभीय उर्जा, चुंबकिय शक्ति, गुरूत्वकर्षण बल, सूर्य रश्मियाँ, प्राकृतिक उर्जा, सौर-मंडल की उर्जा इत्यादि उर्जा स्रोत, बीना किसी जाति व धर्म के भेदभाव के, सभी को समान रूप से प्रभावित करते है। निम्न फेरबदल आपके आर्थिक स्रोत में वृद्धि करेंगे :-

  • वायव्य में स्थित भूमिगत पानी के टैंक को मिट्टी से भकर बंद करे तथा पूर्व-उत्तर में स्थित खुले स्थान में, कर्ण रेखा को छोड़कर, चारदीवारी तथा कर्ण-रेखा के नजदीक, पूर्व-ईशान तथा उत्तर-ईशान में, एक-एक नये भूमिगत पानी के टैंक बनाये।
  • आग्नेय के कमरे को रसोई-घर के लिये उपयोग करे तथा आग्नेय के कमरे के आग्नेय कोने में गैस का चुल्हा इस तरह से रखे कि खाना पकाते समय गृहणी का मुँह पूर्व दिशा की तरफ रहे।
  • दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम में स्थित स्नानघर/शौचालय के फर्श की ऊँचाई, मकान के फर्श के अपेक्षा ज्यादा रखे।
  • प्रत्येक कमरों के पूर्व-उत्तर में खाली जगह तथा दक्षिण-पश्चिम में वजनदार सामान रखे।

ना हो चिंतित दक्षिण व पश्चिम की बालकोनी की गौलाई से

जिज्ञासा: मेरे डूप्लेक्ष मकान के प्रथम तल की दक्षिण एवं पश्चिम दिशा में स्थित दोनों बालकोनी गौलाई में बनी हुई है। क्या इससे कोई वास्तु दोष पैदा होता है?

समाधान : मकान की दक्षिण एवं पश्चिम दिशा की बालकोनी गौलाई में होना गलत नहीं है, लेकिन मकान तथा किसी भी कमरे का ईशान कोना नहीं कटना चाहिए। अगर आप सिर्फ इसी तथ्य से चिंतित है तो आप बीना किसी घबराहट के, निश्चिंत होकर इस मकान में खुशहाल जीवन व्यतित कर सकते है।