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Bhandari Vaastu Consultancy वास्तु विषय की सार्थकता | Bhandari Vaastu Consultancy | Indian Vaastu | Vaastu Shastra | Hyderabad | India

वास्तु के आधार पर जीवन परिवर्तनशील

जिज्ञासा: एक ही मकान में रहते हुए, मकान में बीना कोई फेरबदल करवाने के बावजूद भी जीवन परिवर्तनशील क्यों रहता है?

समाधान :वास्तु विषय को पूरी तरह नहीं समझने वालों को अक्सर यह गलत-फहमी और शिकायत रहती है कि सिर्फ उनके मकान की वास्तु का प्रभाव ही उनके जीवन को प्रभावित करता होगा? लेकिन इसके विपरीत सच्चाई यह है कि ना सिर्फ आपके मकान की वास्तु का ही, बल्कि आपके मकान के आस-पास की भौगोलिक वास्तु का प्रभाव भी आपके जीवन को प्रभावित करता है।

मकान की वास्तु के परिणामों का प्रभाव, वास्तु की सकारात्मक एवं नकारात्मक ऊर्जा के संतुलन पर निर्भर करता है। मकान में व्याप्त नकारात्मक ऊर्जा की तुलना में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह अधिक मात्रा में होने पर, कुछ समय तक जीवन उन्नतिशील व्यतित होता है। लेकिन आखिरकार नकारात्मक ऊर्जा के दुष्परिणाम भी अपना प्रभाव दिखाना शुरू कर देते है।

इंसान जीस मकान में रहता है, उस मकान की वास्तु का प्रभाव ही मुख्य रूप से उसके जीवन को ज्यादा प्रभावित करता है, लेकिन इसके अतिरिक्त जहाँ-जहाँ पर आपका नियमित रूप से आना-जाना रहता है, उस स्थान की वास्तु का प्रभाव भी आपके जीवन को कुछ हद तक प्रभावित करता है।

आग्नेय में शयन कक्ष - पुरुष वर्ग के लिये घातक

जिज्ञासा: मैं एक किराये के मकान में रहता हूँ, जो पूर्व-मुखी है। मैरा शयन-कक्ष दक्षिण-पूर्व के कमरे में तथा रसोई-घर दक्षिण-पश्चिम के कमरे में है। मैं स्वास्थ्य तथा गृह-कलह की समस्याओं से परेशान हूँ। कृपया समाधान बताये।

समाधान :मकान के दक्षिण-पूर्व में स्थित कमरा, आग्नेय का कमरा कहलाता है, जिसे रसोई-घर के लिये उपयोग करना ज्यादा बेहतर होता है। आग्नेय के कमरे में अग्नि-तत्व अत्याधिक मात्रा में प्रवाहित होता है, जो कि आग्नेय में पकाये गये खाने में पनपने वाले विषाणुओं को खत्म करने में सक्ष्म होता है, जिससे खाना स्वास्थ्यदायक बनता है।

आग्नेय के कमरे में सोने वाले पुरुष वर्ग को अग्नि-तत्व से संबंधित बिमारियाँ, जैसे उच्च रक्तचाप, डायबीटीज, हृदयघात इत्यादि बिमारियों के पैदा होने संभावना बढ़ जाती है, स्वभाव गुस्सैल प्रवृत्ति में परिवर्तित हो जाता है तथा पति-पत्नी के आपस में वैचारिक मतभेद उत्पन्न होते हैं।

दक्षिण-पश्चिम दिशा स्थायित्व का प्रतिक होती है, इस दिशा में रसोई-घर होने के कारण घर की बागडोर (कमांड) गृहणी के हाथ में रहती है। किराये के मकान में ज्यादा फेरबदल करना संभव नहीं होता है, परन्तु आप दक्षिण-पूर्व के कमरे को रसोई-घर तथा दक्षिण-पश्चिम या उत्तर-पश्चिम के कमरे को शयन-कक्ष के लिये उपयोग करके वास्तु के शुभ फलदायक परिणाम प्राप्त कर सकते है।

ना रखे उत्तर दिशा में तिजोरी

जिज्ञासा: एक वास्तु पंडित ने मेरे मुख्य शयन-कक्ष के उत्तर दिशा में तिजोरी रखकर उसमें रुपये, जैवर इत्यादी मूल्यवान सामान रखने की सलाह दी है, क्योंकि उत्तर दिशा कुबेर स्थल कहलाती है। क्या यह सही है?

समाधान :मकान या किसी भी कमरे की उत्तर दिशा में तिजौरी रखने से यह दिशा वजनदार हो जाती है, जो कि सही नही है।

आपके दक्षिण-पश्चिम में स्थित मुख्य शयन-कक्ष के दक्षिण-पश्चिम के हिस्से में तिजौरी रखकर उसमें मूल्यवान सामान रख सकते हैं। इससे आपके शयन-कक्ष के नैऋत का हिस्सा वजनदार हो जाएगा, जो कि ज्यादा उत्तम और सही होगा।