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Bhandari Vaastu Consultancy वास्तु विषय की सार्थकता | Bhandari Vaastu Consultancy | Indian Vaastu | Vaastu Shastra | Hyderabad | India

वास्तु का प्रभाव - किरायेदार पर या मकान-मालिक पर?

जिज्ञासाः मकान में व्याप्त वास्तु दोषों के दुष्परिणाम, उस मकान में रहने वाले किरायेदार पर प्रभावित होते हैं? या फिर उस मकान के मालिक पर? जो उस मकान में नहीं रहता है ।

समाधान : वास्तु के शुभ या अशुभ परिणामों का असर, सिर्फ उस मकान में रहने वालों के जीवन पर ही पड़ता है। मकान किराये का हो, या स्वयं का, या फिर अन्य किसी के नाम पर रहे। यह बात वास्तु विषय के लिये अर्थहीन है। मकान के वास्तु-बल एवं वास्तु-दोष, अपने शुभ एवं अशुभ परिणाम उसे ही देंगे, जो उस मकान में रह रहे हैं।

मकान मालिक अगर स्वयं का मकान छोड़कर, अन्यत्र कहीं रहने के लिये चला जाता है, तो वह उस मकान की वास्तु के परिणामों से निवर्त हो जाता है। और जो भी अन्य सज्जन, उस मकान में रहना शुरू करेंगे, उन्हें ही उस मकान की वास्तु के अनुसार शुभ एवं अशुभ परिणाम प्रभावित करेंगे।

आप जिस मकान में रह रहे हैं, सिर्फ उस मकान की वास्तु का ही सीधा असर आपके आचार-विचार-व्यवहार-व्यापार पर पड़ेगा। यही वास्तु का रहस्य है।

मंत्र-पूजा-हवन - वास्तु दोषों का शमन?

जिज्ञासाः धार्मिक विधि जैसे मंत्र-पूजा-हवन द्वारा वास्तु दोषों का शमन संभव है या नहीं? कृपया स्पष्ट करें।

समाधान : धार्मिक विधि द्धारा संपन्न मंत्र-पूजा-हवन इत्यादि करने से हवन में उपयोग होने वाली सामग्री के कारण, वहाँ के वातावरण में शुभ ऊर्जा पैदा होती है। जिसके कारण कुछ समय के लिये सकारात्मक ऊर्जा में वृद्धि होती है। लेकिन यह शुभ ऊर्जा, ज्यादा समय तक अपना प्रभाव नहीं दे सकती। क्योंकि वास्तु दोषों के कारण पैदा होने वाली अशुभ एवं नकारात्मक ऊर्जा, इस शुभ ऊर्जा के प्रवेश में रुकावट पैदा करती है।

वास्तु के अतिरिक्त अन्य माध्यमों द्वारा पैदा की गयी शुभ ऊर्जा, मात्र कुछ समय तक ही अपना प्रभाव जरूर दे सकती है। लेकिन वास्तु दोषों का निवारण नहीं कर सकती। इस शुभ ऊर्जा के कारण, कुछ समय तक मकान में व्याप्त वास्तु दोषों के कारण प्रवाहित होने वाली अशुभ एवं नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव थोडा कम हो सकता हैं, लेकिन आखिरकार मकान में व्याप्त वास्तु दोष अपने दुष्परिणामों का प्रभाव डाले बगैर नहीं रह सकते। अत वास्तु दोषों का शमन करने के लिये, वास्तु को सही करना ही एक मात्र स्थाई तौर पर प्रभावशाली उपाय साबित होगा।

फर्श और छत की ऊँचाई व ढलान का महत्व

जिज्ञासाः मकान के फर्श और छत की ऊँचाई व ढलान का वास्तु में क्या महत्व है?

समाधान : वास्तु विषय में पृथक दिशाओं के आधार पर, मकान की छत और फर्श की ऊँचाई व ढलान महत्वपूर्ण होती है। मकान के पूर्व-उत्तर के हिस्से का फर्श, दक्षिण-पश्चिम के हिस्से के फर्श की अपेक्षा ढलान पर होने से पूर्व-उत्तर दिशा से निरंतर सकारात्मक ऊर्जा प्रवाहित होती है। इसके विपरीत पूर्व-उत्तर का फर्श, दक्षिण-पश्चिम के फर्श की अपेक्षा ऊँचाई पर होने से इन सकारात्मक ऊर्जाओं के प्रवाह में रुकावट पैदा होती है।

पूर्व-उत्तर का फर्श ढलान पर होने के साथ ही दक्षिण-पश्चिम का फर्श ऊँचाई पर होने से ही इन सकारात्मक ऊर्जा से ज्यादा शुभ फलदायक परिणाम प्राप्त होते हैं। इसके विपरीत दक्षिण-पश्चिम के हिस्से का फर्श, पूर्व-उत्तर के हिस्से के फर्श की अपेक्षा ढलान पर होने के कारण, ना सिर्फ मकान में प्रवाहित होने वाली सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह का मार्ग अवरुद्ध होता है, बल्कि मकान में प्रवाहित होने वाली सकारात्मक ऊर्जा की निकासी हो जाती है तथा मकान में नकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह में वृद्धि होने से कई वास्तु दोष पैदा होते है।

मकान की छत समतल है तो यह अच्छा है। लेकिन इनका झुकाव सिर्फ पूर्व या उत्तर की तरफ हो तो वह ज्यादा अनुकूल परिणाम देगी। इसके विपरीत छत का झुकाव सिर्फ दक्षिण या पश्चिम की तरफ होने की स्थिति में प्रतिकूल परिणाम ही देगी।