T.R. Bhandari'sVaastu Matter in English
Vaastu Matter in Hindi |
ब्रह्म-स्थल पर अग्नि-प्रवेश निषेद्धप्रश >>: मैंने यह डूप्लेक्स मकान एक वास्तु पंडित के मार्गदर्शन में ही बनवाया था। इस मकान में रहना शुरू करने के बाद हमारे आर्थिक स्रोत में वृद्धि हुई है, लेकिन धन-हानि, गृह-कलह, मानसिक अशांति इत्यादि समस्याओं के साथ जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इन समस्याओं से निवारण तथा सुख-समृद्धि प्राप्त करने के लिये मैंने पंडित से पूजा करवाकर एक स्फटिक श्रीयंत्र हमारे मकान में स्थापित करवाया था, लेकिन आज तक हमारी सभी समस्याएँ ज्यों की त्यों बनी हुई है। मेरी जिज्ञासा यह है कि मेरा मकान वास्तु के अनुसार बना हुआ होने के बावजूद भी यह समस्याएँ क्यों पैदा हो रही है? मकान में स्फटिक श्रीयंत्र स्थापित करवाने के बावजूद भी हमारी समस्याओं का समाधान क्यों नहीं हुआ? कृपया समाधान बताये।उत्तर: जिस तरह इस मकान के खुले स्थान के ईशान में कर्ण रेखा को छोड़कर बनाये गये भूमिगत पानी के स्रोत के कारण पैदा होने वाले वास्तु-बल आपकी आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बना रहे हैं, उसी तरह मकान के निर्माण में की गयी वास्तु की गलतियों के कारण पैदा होने वाले वास्तु-दोषों के दुष्परिणाम स्वरूप ही आपको समस्याओं का सामना भी करना पड़ रहा है। वास्तु-विषय के दिशा-निर्देशानुसार आग्नेय कोने में गैस का चूल्हा रखकर, पूर्व-मुखी रहकर खाना पकाना अति उत्तम होता है। लेकिन यह सिद्धांत तभी लागू होता है, जब रसोई-घर मकान के आग्नेय के कमरे में बनाया जाए। आग्नेय के कमरे में रसोई-घर नहीं बनाने की स्थिति में वायव्य के कमरे में रसोई-घर बनाना भी मान्य है। वायव्य के कमरे के आग्नेय कोने में गैस का चूल्हा रखने के कारण यह चूल्हा मकान के लगभग ब्रह्म-स्थल (मध्य-स्थान) पर आ रहा है, जिसके कारण ब्रह्म-स्थल पर अग्नि का प्रवेश हो रहा है, जबकि वास्तु का यह सिद्धांत सर्व- विदित है कि किसी भी हालत में मकान के ब्रह्म-स्थल पर अग्नि का प्रवेश निषेध है। क्योंकि ब्रह्म-स्थल पर अग्नि का प्रवेश होने के कारण धन-हानि होने के साथ ही परिवार के सदस्य आपस में एक-दूसरे से मुँह फेर लेते हैं। मकान के उत्तर-वायव्य में निर्मित सीढ़ियाँ रसोई-घर के उत्तर एवं उत्तर-ईशान के हिस्से में आ रही है, जिसके कारण गृहणी का जीवन कष्टमय व्यतीत होने के साथ ही गृहणी का स्वभाव उत्तेजित प्रवृत्ति में परिवर्तित होता है। दक्षिण-पश्चिम के शयन-कक्ष के पूर्व-आग्नेय में अटैच स्नानघर/शौचालय के कारण इस शयन-कक्ष की पूर्व-ईशान दिशा कट गयी है, जिसके दुष्परिणाम इस शयन-कक्ष को उपयोग करने वालों के जीवन को प्रभावित करते है। आपकी अनावश्यक धन-हानि, गृह-कलह, मानसिक अशांति इत्यादि समस्याओं से तुंत राहत प्राप्त करने के लिए आप सिर्फ इतना करे कि वायव्य के कमरे के आग्नेय कोने में स्थित गैस के चूल्हे को, इसी कमरे के पश्चिम-वायव्य में इस तरह से स्थानान्तरित करे कि खाना पकाते समय गृहणी का मुँह पश्चिम दिशा की तरफ रहे। दक्षिण-पश्चिम के शयन-कक्ष के पूर्व-आग्नेय में अटैच स्नानघर/शौचालय को तोड़कर, इस शयन-कक्ष के दक्षिण-पश्चिम में फर्श की ऊँचाई बढ़ाकर नया स्नानघर/शौचालय बनाये, अन्यथा इस स्नानघर/शौचालय के पश्चिम में स्थित दरवाजे को, इसी स्नानघर/शौचालय के उत्तर या पूर्व में स्थानान्तरित करे। वायव्य के कमरे के उत्तर में निर्मित सीढ़ियों को तोड़कर हटाने के अतिरिक्त और कोई विकल्प नहीं है। नयी सीढ़ियों का निर्माण इस तरह से करवाये कि यह नव-निर्मित सीढ़ियाँ मकान तथा किसी भी कमरे के पूर्व से उत्तर दिशा तक के हिस्से में नहीं आये। रही बात स्फटिक श्रीयंत्र को मकान में स्थापित करके समस्याओं से समाधान प्राप्त करने की? मेरे अनुभव के आधार पर मैं यही कहना ज्यादा बेहतर समझता हूँ कि स्फटिक श्रीयंत्र स्थापित करके समस्याओं से समाधान तथा सुख-समृद्धि प्राप्त करने के सपने देखना, सिर्फ स्वयं को दिग्भ्रमित करना मात्र है, और यह अनुभव आप स्वयं भी प्रत्यक्ष रूप से प्राप्त कर चुके हैं। |