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Bhandari Vaastu Consultancy वास्तु विषय की सार्थकता | Bhandari Vaastu Consultancy | Indian Vaastu | Vaastu Shastra | Hyderabad | India

वास्तु के विपरीत निर्माण - दुःखद जीवन

प्रशन: पहले हम शांति-पूर्वक पश्चिम के दोनों कमरों में रह रहे थे। एक वर्ष पहले इस मकान के पूर्व में नया मकान, आग्नेय में भूमिगत पानी का टैंक तथा नैत्र+त में सेप्टिक टैंक बनाकर, हम इस नये मकान में स्थानान्तरित हो गये तथा पश्चिम में स्थित मकान को किराये पर दे दिया, और तब से ही आर्थिक परेशानी तथा अशांत जीवन व्यतीत कर रहे हैं। कृपया हमारी समस्याओं के कारण और उचित निवारण बताये।

उत्तर: आपके पश्चिम में स्थित मकान का ईशान कोना 90 डिग्री के समरूप था और पूर्व-ईशान में कुआँ तथा पूर्व में ज्यादा खुला स्थान था। यह कारण परोक्ष रूप से वास्तु के सिद्धांतों के अनुकूल थे, जिसके कारण आप शांति-पूर्वक जीवन व्यतीत कर रहे थे। नया निर्माण वास्तु के सिद्धांतों के विपरीत करने के कारण ही आपके जीवन में समस्याओं का दौर शुरू हो गया। नये निर्माण किये गये मकान में व्याप्त निम्न वास्तु-दोष आपकी समस्याओं के कारण बन रहे हैं :-

  • मकान का पूर्व-उत्तर कोना कटा हुआ होना।
  • आग्नेय कोने में स्थित भूमिगत पानी का टैंक।
  • पश्चिम-नैत्र+त में स्थित सेप्टिक टैंक।
  • बैठक के कमरे के उत्तर-वायव्य एवं पश्चिम-नैत्र+त में स्थित दरवाजे।

मकान का ईशान कट जाना एवं पश्चिम-नैत्र+त में सेप्टिक टैंक होने के कारण आर्थिक कष्ट का सामना करने के साथ गृह मालिक तथा प्रथम पुत्र का जीवन मृत्यु-तुल्य व्यतीत होता है। आग्नेय कोने में स्थित भूमिगत पानी का टैंक, धन-हानि के साथ अनावश्यक वाद-विवाद तथा द्वितीय संतान के जीवन में कष्टप्रद परिस्थितियाँ पैदा करता है। बैठक के कमरे के उत्तर-वायव्य एवं पश्चिम-नैत्र+त में स्थित दरवाजों के कारण मकान में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। इस मकान के वास्तु-दोषों के दुष्परिणामों से निवृत्ति प्राप्त करने के लिये अति आवश्यक अपेक्षित फेरबदल:-

  • मकान के कटे हुए पूर्व-उत्तर के हिस्से में, मकान के पूर्व-उत्तर कोने को 90 डिग्री के समरूप रखते हुए, बैठक के कमरे के पूर्व तथा शयन कक्ष के उत्तर की दीवार के समरूप नयी दीवारे बनाकर वरण्डा बनाये तथा इस नव-निर्मित वरण्डा के पूर्व-ईशान, उत्तर-ईशान एवं पश्चिम-वायव्य में दरवाजे लगाये।
  • आग्नेय कोने में स्थित भूमिगत पानी के टैंक को मिट्टी से भरकर बंद करके, ईशान में कर्ण-रेखा को छोड़कर, चारदीवारी तथा कर्ण-रेखा के नजदीक, उत्तर-ईशान में एक नया भूमीगत पानी का टैंक बनाये।
  • पश्चिम-नैत्र+त में स्थित सेप्टिक टैंक को मिट्टी से भरकर बंद करके, वायव्य कोने से थोड़ी जगह छोड़कर, उत्तर-वायव्य में नया सेप्टिक टैंक बनाये।
  • बैठक के कमरे के उत्तर-वायव्य एवं पश्चिम-नैत्र+त में स्थित दरवाजों को, इसी कमरे के उत्तर-ईशान एवं पश्चिम-वायव्य में स्थानान्तरित करे।