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Bhandari Vaastu Consultancy वास्तु विषय की सार्थकता | Bhandari Vaastu Consultancy | Indian Vaastu | Vaastu Shastra | Hyderabad | India

वास्तु-दोष - दुष्परिणाम और निवारण

प्रशन: यह मकान हमने तीन वर्ष पहले बनवाया था। इस मकान में प्रवेश करने के बाद से ही हमारे जीवन में समस्याओं का दौर शुरु हो गया। इन तीन वर्षों में हमें अपने खेत गिरवी रखने पड़ गये, पिताजी का मानसिक संतुलन बिगड गया, घर में लडाई-झगडे होने शुरु हो गये एवं बहन की शादी में विलंब हो रहा है। आर्थिक कष्ट के कारण मैं पिछले दो वर्ष से नौकरी कर रहा हूं। कृपया हमारे कष्टों का निवारण बताएं।

उत्तर: आपकी समस्याओं के होने वाले कारण के जिम्मेदार इस मकान में व्याप्त वास्तु दोष और उनके दुष्परिणाम:-

  • ईशान कोने में स्थित सेप्टिक टैंक एवं शौचालय, ईशान दिशा से प्रवाहित होने वाली सकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव को शून्य कर देता है, जिससे धन-हानि, गृह-कलह इत्यादि समस्याओं में वृद्धि होने के साथ ही यह वास्तु-दोष आचार, विचार, व्यवहार एवं व्यापार को भी प्रभावित करता है।
  • ईशान के कमरे के ईशान कोने में गैस का चुल्हा रखने से धन-हानि, गृह-कलह इत्यादि समस्याएं पैदा होने के साथ ही इस स्थान पर पकाया गया खाना स्वास्थ्यवर्धक नहीं होता है।
  • ब्रह्म-स्थल पर स्थित भूमिगत पानी का टैंक आर्थिक सर्वनाश होने में अहम भूमिका निभाता है तथा गृह-मालिक को मानसिक वेदना का शिकार बनाता है। इसके साथ ही गृह-मालिक का शयन कक्ष आग्नेय के कमरे में होने के कारण उनके स्वास्थ्य एवं समृद्धि में प्रतिकूल परिणाम प्राप्त हो रहे हैं।
  • नैऋत दिशा स्थायित्व का प्रतीक होती है, इसीलिए वास्तु विषय में नैऋत के कमरे का उपयोग गृह-मालिक के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है। विवाह योग्य कन्या का शयन कक्ष नैऋत के कमरे में होने के कारण ही उसकी शादी में विलंब हो रहा है।
  • ईशान के कमरे के पश्चिम-नैत्र+त तथा वायव्य के कमरे के पूर्व-आग्नेय में स्थित दरवाजे, उपरोक्त कमरो में नकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह में वृद्धि कर रहे है।

आपके कष्टों के निवारण हेतु अपेक्षित फेरबदल :-

  • खुले स्थान के ईशान कोने में स्थित शौचालय को तोड़कर, ईशान कोने में स्थित सेप्टिक को साफ करवाकर मिट्टी से भरकर बंद करे।
  • मकान के दक्षिण में स्थित स्नानघर के बीच में एक नयी दीवार बनाकर दो भागों में विभाजित करके, फर्श की उंचाई बढाकर, इसके एक भाग में शौचालय बनायें, या फिर आवश्क्तानुसार उत्तर में स्थित खुले स्थान में, मकान तथा चारदीवारी की उत्तर की दीवारों से थोड़ा खुला स्थान छोड़कर, पश्चिम की दीवार से लगाकर नया शौचालय बनाये और उत्तर-वायव्य में नया सेप्टिक टैंक इस तरह से बनाये कि यह नव-निर्मित शौचालय एवं सेप्टिक टैंक, वायव्य के कमरे के उत्तर-वायव्य के हिस्से तक ही आये।
  • ब्रह्म-स्थल पर स्थित भूमिगत पानी के टैंक को मिट्टी से भरकर बंद करके, ईशान कोने से थोड़ी जगह छोड़कर उत्तर-ईशान में नया भूमिगत पानी का टैंक बनायें।
  • ईशान के कमरे में स्थित रसोई-घर को आग्नेय के कमरे में स्थानांतरित करें तथा आग्नेय के कमरे के आग्नेय कोने में, गैस का चूल्हा इस तरह से रखे कि खाना पकाते समय गृहणी का मुंह पूर्व दिशा की तरफ रहे।
  • ईशान के कमरे के पश्चिम-नैऋत तथा वायव्य के कमरे के पूर्व-आग्नेय में स्थित दरवाजों को, ईशान के कमरे के पश्चिम-वायव्य तथा वायव्य के कमरे के पूर्व-ईशान में स्थानांतरित करें।
  • ईशान के कमरे के उत्तर एवं दक्षिण-आग्नेय में एक-एक नया दरवाजा लगायें।
  • ईशान के कमरे के उत्तर-ईशान में तथा आग्नेय के कमरे के दक्षिण-आग्नेय में एक-एक नयी खिड़कियाँ लगायें।
  • नैऋत के कमरे को आपके पिताजी का तथा वायव्य के कमरे को आपकी बहन का शयन कक्ष बनायें।

उपरोक्त फेरबदल ना सिर्फ आपकी आर्थिक एवं गृह-कलह की समस्याओं का ही निवारण करेंगे, बल्कि आपके पिताजी के स्वास्थ्य में भी अति-शीघ्र अनुकूल परिणाम पैदा करेंगे। इसके अतिरिक्त आपकी बहन की शादी में होने वाले व्यवधान समाप्त हो जायेंगे और आने वाले कुछ ही दिनों में कुशलता पूर्वक उसकी घर से विदाई संभव हो जाएंगी।

आर्थिक अनुकूलता होने के पश्चात मकान के कटे हुए उत्तरी हिस्से में, मकान के उत्तर की दिवार के समरुप, नक्शे में निर्देशानुसार नयी दीवार बनाकर उस पर छत ड़ाले तथा निर्देशित स्थान पर एक नया दरवाजा लगाये।